Ganesh Chaturthi 2023

 जय  गणेश to everyone.



Ganesh chaturthi is most valuable festival in Hinduism this festival was started from Maharashtra , but now it is famous in all over india. In Hinduism (सनातन धर्म) people believe that before starting any work have to workship Lord Ganesh.



In this festival people bring  Bappa to their homes , Society and celebrate the festival this festival is of 10 days at अनंत चतुर्दशी their is विसर्जन of Lord Ganesha.

Lord Ganesha love Modak to eat so all the devotees offer Modak to Lord Ganesha.As Lord Ganesha's vehicle is a mouse in this festival devotees brings statue of Lord Ganesha and their mouse 🐁. And do स्थापना and all 10 days do Aati & Pooja and also do programmes in this occasion.

There is two most famous Aarti's done by devotees of Lord Ganesha in this festival.

                                              1.)   जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा  , माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा  ।।2।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी , माथे सिंदूर सोहे, मूस की सवारी  ।।2।।

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा , लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ।।2।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा  , माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा  ।।2।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया , बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ।।2।।

सुर शाम शरण आये सफल कीजे सेवा , माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।2।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा  , माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा  ।।2।।

दीनन की लाज राखो शंभू सूत वारी , कामना को पूरा करो जग बली हारी ।।2।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा  , माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा  ।।2।।

 2.)   सुखकर्ता दुखहर्ता

सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची , नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥2
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची , कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥2
जय देव, जय देव
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची , सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची 2
जय देव, जय देव
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती , दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती॥2
जय देव, जय देव
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा, चंदनाची उटी कुंकुम केशरा।

हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा , रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरीया॥
जय देव, जय देव
दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती, जय देव, जय देव
जय देव, जय देव,

जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती , दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती
जय देव, जय देव
रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा , हिरेजड़ित मुकुट शोभतो बरा
लंबोदर पीतांबर फणीवर बंधना , सरळ सोंड वक्रतुण्ड त्रिनयना।

                                                   जय देव, जय देव

दास रामाचा वाट पाहे सदना , संकटी पावावें, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना॥
जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती , दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती

जय देव, जय देव
घालीन लोटांगण, वंदिन चरण , डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे ,

                           प्रेमे आलिंगीन आनंदे पुजिन , भावें ओवाळिन म्हणे नामा॥

                            घालीन लोटांगण, वंदिन चरण, डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझे

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव॥
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
त्वमेव सर्व मम देवदेव॥
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा,बुध्दात्मना वा प्रकृतिस्वभावात्।
करोमि यद्यत् सकलं परस्मैनारायणायेति समर्पयामि॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव
अच्युतं केशवं रामनारायणं,कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरि।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं,जानकीनायकं रामचंद्रं भजे॥
हरे राम हरे राम,
राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥
सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची, नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥

जय देव, जय देव,
जय मंगलमूर्ती, हो श्री मंगलमूर्ती , दर्शनमात्रे मन कामनापु्र्ती

                                                जय देव, जय देव 


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